रांची। अगर आप किसी अपराधी के खिलाफ मीडिया/ सोशल मीडिया पर शिकायत करें और पुलिस उस पर कार्यवाही की जगह आप पर ही मुकदमा कर दे, तो? ऐसा कोई सिपाही या हवलदार करे तो इसे उसकी नासमझी कहेंगे, लेकिन यह करने वाला अगर जिले का पुलिस कप्तान हो, तो?
मामला सरायकेला-खरसावां जिले का है, जहाँ चल रही अवैध लॉटरी के संचालकों के कृत्यों पर आंख मूंद कर बैठी पुलिस ने इस बार उस व्यक्ति के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर दिया है, जो इस मुद्दे को बार-बार सोशल मीडिया तथा अन्य प्लेटफार्म पर उठा रहा था। अगर आप यह खबर पढ़ कर अचंभित हों, तो आप शायद यह जान कर हिल जाएंगे कि यह प्राथमिकी जिले के पुलिस अधीक्षक आनंद प्रकाश ने स्वयं दर्ज करवाई है।
इसी महीने, तीन जनवरी को आदिवासी डॉट कॉम पर “लॉटरी या लूट” नामक एक ग्राउंड रिपोर्ट पोस्ट की गई थी, जिसके बाद जमशेदपुर व साहिबगंज समेत झारखंड के कई जिलों में पुलिस ने अवैध लॉटरी संचालकों के खिलाफ कार्यवाही की थी। कहने को तो सरायकेला पुलिस ने भी कार्यवाही की थी, जिसमें एक छोटे एजेंट को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसके संचालकों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
उसके बाद लॉटरी के संचालकों द्वारा इस मामले को सोशल मीडिया में उठा रहे गुरु चरण साव को खरीदने का प्रयास किया गया। 2-3 लाख रुपये के एकमुश्त भुगतान और हर महीने एक लाख रुपये देने का प्रयास हुआ, लेकिन उसने लेने से इनकार कर दिया। फिर उसे धमकी देने की कोशिश हुई, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं पड़ा।
बहरहाल, दो हफ्तों तक धंधा बंद रखने के बाद, संचालकों के इसे दोबारा शुरू कर दिया है। इसके बाद, दो दिन पहले किसी ने गुरु चरण साव के घर के समीप इसी फर्जी लॉटरी के टिकट बिखेर कर उसे बदनाम करने की कोशिश की। इस से आक्रोशित होकर, देर रात, उसने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर पुलिस अधिकारियों के बारे में वही बातें लिख दिया, जो लॉटरी माफिया ने उसे बताया था।
हालांकि, सुबह उसने यह सब कुछ डिलीट कर के, उसी एकाउंट से सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांग लिया, लेकिन तब तक सरायकेला पुलिस को शायद “उसकी आवाज बंद करवाने का” एक बहाना मिल चुका था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के एसपी ने चौका थाने में उसके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करवाया है।
कौन है इस अवैध लॉटरी के पीछे ?
टीवी चैनल Live7 की एक रिपोर्ट के अनुसार चांडिल व चौका क्षेत्र में इस लॉटरी का संचालन सीमांत डे, भागा कुंडू, कन्हाई ठाकुर, राजू कुम्हार, टिकेन, महेश कुंडू एवं बिट्टू साव जैसे लोग कर रहे हैं। इनमें से कई लोग भाजपा से जुड़े हैं, एक प्रदेश समिति के सदस्य हैं और सूत्र बताते हैं कि इसमें भाजपा के एक सांसद के स्थानीय प्रतिनिधि भी संलिप्त हैं। इस वीडियो में आप लॉटरी माफिया का सच देख सकते हैं।
इस से संबंधित एक ऑडियो भी सामने आया है, जिसमें लॉटरी संचालक सीमांत डे ने पूरे मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकारी है और अवैध लॉटरी के बाकी संचालकों का नाम भी लिया है। उस ऑडियो ने इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठा दिया है। तो क्या अब सरायकेला पुलिस में साहस है, उन लोगों पर कार्यवाही करने का?
क्या पुलिस अपराधियों पर खामोश और मामले को उठाने वालों पर कार्यवाही का दुस्साहस करती रहेगी? क्या झारखंड सरकार और पुलिस के उच्चाधिकारी सरायकेला पुलिस की “इस मनमानी” को देख कर भी चुप रहेंगे?
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लॉटरी या लूट?