रांची। कोरोना काल में पेट्रोल-डीजल से लेकर खाद्य सामग्रियों तक की कीमतों में महंगाई की आग लगी हुई है। पिछले डेढ़ सालों में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा है, और अब हालात यह हैं कि बिजली का बिल जमा करना भी अब लोगों के बस की बात नहीं रही। झारखंड के नक्सल प्रभावित जिले खूंटी से खबर मिल रही है कि यहाँ ग्रामीणों के पास बिजली का बिल भरने के भी पैसे नहीं हैं, और अब वे आदिवासी अपने पालतू जानवर बेचकर बिजली का बिल चुकता कर रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, खूंटी के महुल गांव में ऐसे 5 परिवार हैं जिन्हें बिजली का बिल चुकाने के लिए अपने पालतू जानवरों को बेचना पड़ा है। बताया जा रहा है यहां रहने वाले आदिवासी समाज के लोग बछड़ा, सूअर और बकरी बेचकर बिजली का बिल चुकाने के लिए मजबूर हैं। योंगसार पंचायत में रहने वाले राहुल तिर्की ने बताया कि बिजली का बिल लगातार महंगा होता जा रहा है और हमारे पास उसे चुकाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं, इसीलिए हम यह सब करने को मजबूर हैं।
लोग कटवा रहे हैं बिजली का कनेक्शन
इस गाँव में हालात कुछ ऐसे बन गए कि गांव के लोग घरों में अब बिजली कनेक्शन लगवाने से तौबा कर रहे हैं। बिजली विभाग ने भी इस बात की पुष्टि की है कि पिछले 6 महीनों में 20 से ज्यादा परिवार बिजली का मीटर वापस कर चुके हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले भी हम बिना बिजली के रहते थे अब भी रह लेंगे। बुजुर्गों का कहना है कि जब खाने के लिए पैसे ही नहीं तो बिजली कनेक्शन लगवा कर पैसे कहां से भरेंगे।