भोपाल। एक तरफ तो राज्य सरकार मध्य प्रदेश को स्वर्णिम प्रदेश बनाने का सपना दिखाती है, लेकिन दूसरी तरफ NCRB यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की साल 2020 की रिपोर्ट आई है, जिसके अनुसार, मध्यप्रदेश देशभर में आदिवासी अत्याचार और बाल अपराधों के दर्ज मामलों में अव्वल है। इस पर विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर तीखा हमला बोला है, तो वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष की दलील भी नई नहीं है। सत्ता पक्ष का कहना है कि प्रदेश में हर एक प्राथमिकी को दर्ज करने का निर्देश दिए गए हैं, इसीलिए ये आंकड़े ज्यादा हैं। लेकिन क्या यह तर्क सही है?
सबसे अचंभित करने वाली बात यह है कि आंकड़े किसी एनजीओ या निजी संस्था के नहीं, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के हैं, जिसमें साल 2020 में हुए अपराधों की जानकारी दी गई है। इन आँकड़ों के मुताबिक राज्य अपराध तेजी से बढ़े हैं।
इन आँकड़ों के अनुसार :
* आदिवासियों पर अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश पहली पायदान पर है। साल 2020 में इस तरह के 2401 मामले दर्ज हुए, जबकि 2019 में ये आंकड़ा 1922 था।
* बाल अपराध में भी मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है, 2020 में जहां 17008 केस हुए वहीं 2019 में ये आंकड़ा 19028 था।
* SC वर्ग पर अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर है। साल 2020 में इस तरह के 6899 केस दर्ज हुए जबकि 2019 5300 केस थे।
* बुजुर्गों के साथ हिंसा के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर है। साल 2019 में 4138 तो इस साल 4602 केस दर्ज हुये।
* मध्यप्रदेश हत्या के मामले में देश भर में चौथे स्थान पर है। साल 2020 में प्रदेश में हत्या के 2101 केस दर्ज हुए जो पिछले साल 1795 थे।
* महिलाओं से जुड़ी हिंसा के मामले में मध्यप्रदेश छठवें स्थान पर है। साल 2020 में महिला हिंसा के 25640 केस दर्ज हुये, जो 2019 में 27560 दर्ज हुए थे।
इस रिपोर्ट के सामने आने पर कांग्रेस ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ नेट्वीट किया कि यह है शिवराज सरकार के 16 वर्षों के विकास की तस्वीर, जब से प्रदेश में शिवराज सरकार आयी है, तब से आदिवासी, दलित, शोषित वर्ग पर उत्पीड़न व दमन की घटनाएँ बढ़ी है, दुष्कर्म की घटनाएँ रोज घटित हो रही है, अपराधी तत्वों के हौसले बुलंद है, क़ानून का कोई खौफ नही बचा है।
वैसे इस रिपोर्ट से कुछ सकारात्मक तथ्य भी सामने आये हैं। उदाहरण के तौर पर, अपहरण के मामले में मध्यप्रदेश पांचवे स्थान पर है, यहां अपहरण के मामलों में कमी आई है। साल 2019 में 9812 अपहरण के मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2020 में 7320 केस दर्ज किए गये थे। इसके अलावा, महिला हिंसा के मामले में मध्यप्रदेश छठवें नंबर पर है, और ऐसे मामलों की संख्या में भी कमी आई है।