जमशेदपुर। दामिनी सबर के लिए यह एक सपने के सच होने जैसा है। एक विलुप्तप्राय आदिम जनजाति “सबर” की इस छात्रा से उपायुक्त विजया जाधव ने मुलाकात की, उसे गले से लगाकर स्नेह जताया और आधे घंटे तक उसके दुख-दर्द को साझा किया। डीसी से मिले उपहारों को लेकर जब दामिनी वापस लौटने को हुई, तो उपायुक्त ने उसे अपना फोन नंबर देते हुये कहा – “पढाई- लिखाई में या फिर कोई भी अन्य दिक्कत हो, तो बेझिझक फोन करना।”
दरअसल बोर्ड परीक्षा में दामिनी को 67% अंक मिलने की खबर अखबार में पढ़ने के बाद उपायुक्त ने उस से मिलने की इच्छा जाहिर की थी। दामिनी जब उपायुक्त से मुलाकात करने उनके कार्यालय में पहुंची तो भावनाओं का ज्वार दोनों ओर था। दामिनी जहां उपायुक्त से मुलाकात को लेकर विश्वास नहीं कर पा रही थी तथा यह मौका देने के लिए बार-बार धन्यवाद जता रही थी, वहीं उपायुक्त भी दामिनी की पारिवारिक कहानी सुनकर भावुक हो गईं। करीब आधे घंटे तक उन्होने दामिनी से काफी स्नेह से बात करते हुए उसके पारिवारिक पृष्ठभूमि को जाना तथा हरसंभव मदद को लेकर भरोसा दिया।
मुलाकात के बाद भावुक डीसी ने कहा – “सात भाई बहनों में दामिनी दूसरे नंबर पर जरूर है लेकिन बोर्ड परीक्षा में फर्स्ट डिविजन से पास कर पूरे जिले का नाम रौशन किया है। सबर परिवारों में पढ़ाई- लिखाई का बेहतर माहौल मिल पाना कल्पना से परे जरूर है लेकिन दामिनी ने उन सभी मिथकों को तोड़ते हुए जो काम किया है उस पर हम सभी को गर्व है।”
ट्रेन में भीख मांगते हैं भाई-बहन- अब पढ़ाई करेंगे
चाकुलिया नगर पंचायत के सामने वाजपेयी नगर में रहने वाले दामिनी के परिवार में मां जेसिन सबर तथा 6 भाई- बहन हैं। पिता का स्वर्गवास हो चुका है, जबकि मां राजमिस्त्री का काम करती हैं। दामिनी से बड़ा एक भाई है, अन्य 4 भाई व एक बहन उससे छोटे हैं। दामिनी ने बताया कि उसके सभी छोटे भाई बहन चाकुलिया रेलवे स्टेशन व ट्रेन में भीख मांगते हैं लेकिन बोर्ड परीक्षा में सफल होने के बाद उसे मिलता सम्मान देख सभी ने आगे पढ़ाई जारी रखने की इच्छा जाहिर की है।
उपायुक्त द्वारा दामिनी का नामांकन कस्तूरबा विद्यालय, चाकुलिया में कराने के साथ साथ सभी भाई बहनों को भी स्कूल में नामांकन कराने की बात कही गई। इस मौके पर उपायुक्त ने दामिनी को पेन, किताब, खाने-पीने का सामान के साथ-साथ उसके भाई बहनों के लिए भी ढेर सारा उपहार दिए साथ ही आगे भी ऐसे ही मन लगाकर पढ़ाई जारी रखने की बात कही।
दामिनी की इस उपलब्धि पर उपायुक्त ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिस विषम परिस्थिति में इस बच्ची ने किताब- कॉपी को हथियार बनाकर जीवन को संवारने की भरसक कोशिश की है ऐसे उदाहरण बिरले ही हमारे सामने आते हैं । उन्होने दामिनी की मुक्तकंठ से तारीफ करते हुए कहा कि ऐसी जीवटता बहुत कम ही देखने को मिलती है, जो दामिनी ने कर दिखाया वे सबर परिवारों के लिए रोल मॉडल तो है कि, आम परिवारों के लिए भी प्रेरणास्रोत हैं।
उपायुक्त ने उसके परिवार को मिलने वाले सरकारी योजनाओं के लाभ के बारे में पूछा, परिवार में मां को विधवा पेंशन मिल रहा है, परिवार को राशन मिलता है तथा दामिनी को पूर्व में मुख्यमंत्री सुकन्या योजना तथा वर्तमान में भी मुख्यमंत्री सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना का लाभ मिल रहा है। घर का हालत जर्जर है जिस पर उपायुक्त ने अन्य सभी सरकारी योजनाओं से भी दामिनी के परिवार को आच्छादित करने का निर्देश पदाधिकारियों को दिया।
इससे पहले भी, उपायुक्त विजया जाधव कभी आदिवासी महिलाओं के साथ धान की रोपनी करते, कभी उनके बच्चों को दुलारते हुए, तो कभी दुर्गम सबर-बहुल गाँवों में पूरी सरकार के साथ कैम्प लगाकर योजनाओं का जायजा लेते दिखाई देती रही हैं।