जमशेदपुर। कहने को तो देश संविधान से चलता है और भारतीय दंड संहिता की धाराएं भी सभी अपराधियों के साथ एक जैसा सलूक करने के लिए बनी हैं। लेकिन लॉटरी माफिया के खिलाफ कार्यवाही में झारखंड पुलिस एक आँख में सूरमा और दूसरे में काजल वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। एक जिले की पुलिस तो लॉटरी माफिया को संरक्षण देने के आरोप में पुलिस अधिकारियों तक पर कार्यवाही करने में नहीं हिचक रही है, वहीं एक अन्य जिले में कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
जमशेदपुर पुलिस की कार्यवाही से हड़कंप
कल अवैध लॉटरी के मामले में एक बड़ी कार्यवाही करते हुए जमशेदपुर पुलिस के वरीय पुलिस अधीक्षक ने गालूडीह थाना प्रभारी रोशन खाखा को लॉटरी माफिया को संरक्षण देने के आरोप में निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही का आदेश दिया गया है।
पूर्वी सिंहभूम जिले के एसएसपी प्रभात कुमार के सख्त निर्देश के बावजूद गालूडीह क्षेत्र में अवैध लॉटरी के कारोबार से संबंधित सूचना मिलने के बाद, 17 जनवरी को ग्रामीण एसपी ने बिना गालूडीह थाने को सूचना दिए, दूसरे थाने की टीम के साथ गालूडीह में छापा मार कर, 20 लाख रुपये नकद तथा 1200 फर्जी लॉटरी टिकट बरामद किया था।
उसके बाद, वरीय पुलिस अधीक्षक के कार्यालय से एक मेमो द्वारा सभी थाना प्रभारियों को अवैध लॉटरी के कारोबार पर पूरी तरह से रोक लगाने की बात कही गई थी। उस पत्र में यह भी चेतावनी दी गई थी कि जिस किसी भी थाना क्षेत्र में ऐसा मामला मिलेगा, उसके थाना प्रभारी को निलंबित कर के, उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की जाएगी।
जमशेदपुर पुलिस की इस कार्यवाही की जितनी प्रशंसा की जाए, कम होगी। उनके एक्शन के बाद जिले में लॉटरी माफिया में हड़कंप मचा हुआ है और कारोबार से जुड़े सभी लोग अंडर-ग्राउंड हो चुके हैं।
ये सरायकेला पुलिस की लापरवाही है या…?
दूसरी ओर सरायकेला-खरसावां जिले की पुलिस है, जिनके पास अवैध लॉटरी के धंधे से जुड़े एक “किंगपिन” की फोन पर स्वीकारोक्ति की रिकॉर्डिंग है, जिसमें धंधे से जुड़े कई लोगों का नाम और पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है, लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।
गिरफ्तारी तो दूर, वे आज तक, इस धंधे से जुड़े किसी भी व्यक्ति से पूछताछ तक नहीं कर पाये। जब पूरे राज्य में लॉटरी प्रतिबंधित है तो क्या इस जिले में किसी और तरह का कानून चलता है? आखिर ऐसा क्या है कि सरायकेला पुलिस उन लोगों पर कार्यवाही से बच रही है?
हद तो यह है कि इस मामले में जिन लोगों का नाम सामने आया, वे सभी बेखौफ बाजारों में घूम रहे हैं – कोई सार्वजनिक कार्यक्रमों में दिख रहा है, तो कोई राजनीति चमका रहा है। क्या सरायकेला पुलिस बताएगी की ऐसा क्यों हो रहा है? या फिर बाजारों व चौक-चौराहों में इस संबंध में चल रही अफवाहों को सच मान लिया जाए?
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